ijhaaredil
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तग़य्युर ये कैसा, ये कैसा तूफां,
उड़ा किस हवा में ये सारा जहां,
करके बंद आँखें दौड़ते हैं सभी,
मालूम नहीं है मंजिल है कहाँ,
बदली है सूरत शहरों कि इस कदर,
लहराते थे जहाँ गुलशन, खड़े हैं मकां,
दौलत लायी देखो ये कैसी मुसीबत,
मिटाता है भाई, भाई का नामोंनिशाँ,
तमीज और तहज़ीब उठे हैं दयार से,
बच्चे वक़्त से पहले हो रहे जवाँ,
छुप गया कहाँ मेरे बचपन का गॉंव,
वो बरगद, वो कुआँ, वो खेल का मैदां,
खौफ और वहशत हावी हैं इस कदर,
मौत के साये में जी रहा है इन्सां,
तग़य्युर = परिवर्तन
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