ijhaaredil
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बलात्कार एक जहरीला नाग,
लगातार विष वमन कर रहा है,
हर रोज अभागिनोँ को डस रहा है,
कौन इसके दाँत तोङे,
कौन इसका फन मरोङे, कानून की लाठी खोखली है, छोटी सरकार की पोटली है, क्या ये कहर यूँ बरपता रहेगा,
देश का सर यूँ ही झुकता रहेगा,
गुनाह यह काबिले माफी नहीँ है,
मौत की सजा भी काफी नहीँ है,
बलात्कारी को मारो चौराहे पर पत्थर,
या छोङ दो कोई अंग काटकर,
जिँदगी भर करता रहे प्रायश्चित,
यही दण्ड प्रतीत होता है उचित,
कहते हैँ बलात्कारी मानसिक विक्षिप्त है, बताइये विक्षिप्त का क्या इलाज उचित है,
पागल कुत्ते को गोली मार दी जाती,
मौत की नीँद सुलाया जाता पागल हाथी ।
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