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जालिम पङौसी – कैसे निभे [Jagranjunction forum]

ijhaaredil
ijhaaredil
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फर्ज तो यही है कि
पङौसी का हाथ बँटायेँ,
मगर वह हो फरेबी
तो कैसे उसे निभायेँ,
न केवल पङौसी
वह है छोटा भाई,
हमने हमेशा उसकी
बिगङी है बनाई,
बदले मेँ प्यार के
देता है हमेँ ज़ख्म,
नादाँ समझकर
करते है माफ हम,
जब जब हाथ
दोस्ती का बढाया,
तब तब उसने
सितम एक और ढहाया,
दरियादिली को
समझ बैठा है बुजदिली,
अब तो हद शराफत की
पार हो चली,
ऐ गुस्ताख, अब
तू सुनले,
करते हैँ ऐलान हम,
और जहर नहीँ
उगलने देँगे हम,
गीता मे कहा कृष्ण ने
बन्दे तू कर कर्म,
दुष्ट को दण्ड देना है
सबसे बङा धर्म,
गीता मेँ लिखे पर
अम्ल करने का वक्त है,
तेरे नापाक इरादोँ को
कुचलने का वक्त है,
मतले तू इम्तिहाँ
हमारे सब्र का,
वर्ना तू होगा भिखारी
दर बदर का,
मत खेल आग से
क्या तू जानता नहीँ,
हो जाये बेकाबू तो
ये बख्शती नहीँ,
है यही वक्त का तकाजा
कि तू आगे बढ,
मिला के हाथ दोस्ती का
साथ हमारे चल ।

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