ijhaaredil
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ना राम के भक्त हैँ,
ना रहीम के बन्दे हैँ,
ये खून बहाने वाले
शैतान के नुमाइन्दे हैँ,
ना मन्दिर से वास्ता है,
ना मस्जिद से सारोकार,
मजहब की आङ मेँ
करते गोरखधन्धे हैँ,
ना मन को जीत पाये,
ना तन पे काबू पाया,
सीधी सच्ची जनता को
जमकर बेवकूफ बनाया,
कैसे हो सकते ये
इन्सान सीधे सच्चे हैँ,
लाशोँ के ढेर पर
करते हैँ सियासत,
अमन के खेतोँ मेँ
बोते हैँ नफरत
ये रक्तपिपासु
खूनी दरिन्दे है
ऐश की जिन्दगी
गुजारने की कवायद,
कुर्सी से चिपके
रहने की मशक्कत,
जज्बातोँ से खेलकर
करते इकटठे चन्दे हैँ,
आओ यारो,
बेदार हो जायेँ,
इन ठेकेदारोँ को
मार भगायेँ,
हमारी हड्डियोँ से
जलते इनके चूल्हे हैँ,
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