ijhaaredil
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मिटाकर अँधेरा चराग बुझ गया,
देकर संदेशा एक सँत चल दिया,
गिराकर नफरत की उँची दीवारेँ,
दिलोँ मेँ मुहब्बत का रस भर गया,
संघर्ष की कहानी,
थी तेरी जिन्दगानी,
जुर्म के आगे तूने
हार नहीँ मानी,
बापू से मन्त्र लेकर मैदाँ मेँ उतर गया,
एक लम्बा कारावास,
ना कर पाया निराश,
सुनहरे भविष्य की
मन मे रही आस,
आखिर रंगभेद का जहर उतर गया,
सत्य अहिँसा
तेरे शस्त्र थे,
सच्चाई के तूने
पहने वस्त्र थे,
तोप, तीर से तू,
न घबराया,
गोरी सरकार को
कदमोँ मेँ झुकाया,
दक्षिण अफ्रीका को स्वर्ग सा बना दिया,
मानवता पर तेरा
यह अहसान,
कभी न भूल पायेगा
ये जहान,
जब भी बनेगी
वीरोँ की फेरहिस्त,
तेरा जरूर होगा
उसमेँ जिक्र,
कर्तव्य बखूबी तू अपना निभा गया ।
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