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पूवोत्तर का कश्मीर – मणिपुर

ijhaaredil
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मणिपुर – देश के पूर्वोतर सात राज्योँ मेँ से एक छोटा सा राज्य । संदरता मेँ अदभुत – पहाङियोँ और मैदानी भाग मेँ मनोहारी प्राकृतिक दृश्य । यहाँ के लोग इसे पूर्वी भारत का ‘स्विटजरलैँड’ कहते हैँ ।
मणिपुर जाते समय, रास्ते मेँ पङने वाली पहाङियोँ पर खिले पीले-2 फूल ऐसा नजारा पेश करते हैँ मानोकि हजारोँ चिराग एक साथ जल रहे होँ और दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है । सीढीनुमा छोटे-2 खेत, तरह के दरख्त मन को मोह लेते हैँ ।

घाटी मेँ बसा इम्फाल शहर आजकल के आधुनिक शहरोँ से किसी मायने मेँ कम नहीँ है । यहाँ गोबिन्दजी मन्दिर, काँगला किला, वीर टिकेन्द्रजीत पार्क, पावना बाजार, थंगाल बाजार आदि मुख्य स्थल हैँ । पावना बाजार मेँ ही एक बाजार का संचालन महिलाओँ द्वारा किया जाता है यानि सभी दुकानदार महिलाऐँ जोकि स्थानीय हस्तर्निमित वस्तुओँ का विक्रय करती हैँ ।
मणिपुर के वातावरण मेँ स्वच्छंदता है । यहाँ छेङखानी, फब्तियाँ कसने जैसे छिछोरे कृत्य देखने को नहीँ मिलते हैँ । महिलाओँ का खूब सम्मान किया जाता हैँ और कहेँ तो महिला के अधिकार पुरूष से अधिक हैँ । व्यापार, खेतीबाङी तथा आजीविका के साधन जुटाने मेँ महिला पुरुष से आगे है ।

मणिपुर की बात चले और यहाँ की डल झील अर्थात ‘लोकतक झील’ की चर्चा न हो । इम्फाल के पङौसी जिले विष्णुपुर मेँ अवस्थित यह झील अपने तैरते हुए घरोँ के लिए प्रसिद्ध है तथा विशाल क्षेत्र मे फैली हुयी है । बीच मेँ एक चट्टान है जिस पर खङे होकर झील को निहारना, तन और मन को शाँति व प्रसन्नता देता है ।
लोकतक के पास ही स्थित है द्वितीय विश्वयुद्ध के समय का ऐतिहासिक स्थल – मौरांग । नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की INA अपना विजयी अभियान जारी रखते हुए मौरांग तक पहुँच गयी थी । यहाँ पर एक युद्ध सँग्राहालय है जिसमेँ INA से सम्बन्धित अनेक वस्तुऐँ रखी हुयी हैँ साथ ही साथ नेताजी की आदमकद विशाल प्रतिमा स्थापित है ।
सुहाना मौसम, प्राकृतिक दृश्य और मिलनसार लोग इस राज्य की पहचान है ।

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