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इनामों को राजनीतिक रंग मत दीजिये,
योग्यता को कसौटी पर परख लीजिये,
जाति, धर्म से बढ़ा होता है हुनर,
गुणवान के गुणों सम्मानित कीजिये,
कल सम्पूर्ण विश्व ने शांतिदूत ईसामसीह का यौमे पैदाइश बड़े धूम-धाम से मनाया | यही दिन भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, एक ओजस्वी वक्ता, कुशल संसदविद और एक मशहूर कवि माननीय अटलबिहारी बाजपेयीजी का जन्मदिवस है | कल समूचे देश ने अटलजी का ८९ वां जन्मदिन मनाया | अटलजी भारतीय राजनीती के आकाश पर वो चमकते सितारे हैं जिन्हे शंकाओं के बादल अपने पीछे छिपाकर नहीं रख सकते हैं | इन्होने अपना राजनीतिक सफ़र जनसंघ से शुरू किया | सन १९७८ मैं जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री रहे | जब जनता पार्टी बिखरी तो सन १९८० में इन्होने भारतीय जनता पार्टी का गठन किया | सन १९९६, १९९८, व १९९९ से २००४ तक देश के प्रधानमंत्री रहे | अटलजी को सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहने का गौरव प्राप्त है |
अटलजी को भारतरत्न से सम्मानित करने की मांग लम्बे समय से चली आ रही है | अभी हाल ही में सरकार द्वारा क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भारतरत्न दिए जाने कि घोषड़ा के बाद तो इस मांग ने और जोर पकड़ा | लेकिन भारत में तो एक कहावत है कि अँधा बांटे रेवड़ी फिर-२ अपने दे | इनाम, सम्मान भी राजनैतिक रंग में रंग जाते हैं |
भारतरत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है | इसकी स्थापना सन १९५४ में कि गयी थी | आजादी के बाद सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेकर सम्राज्यवावी राज की प्रतीक सभी उपाधियों को निरस्त कर दिया था | शायद भारतरत्न शुरू करने कि मंशा के पीछे यह सोच रही हो कि योग्य, कुशल,व्यक्तियों के काम कि सराहना की जाये और उन्हें सम्मानित किया जाए | सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन भारतरत्न से नवाजे जाने वाले पहले व्यक्ति थे | तदुपरांत देश और विदेश के कई गणमान्य लोग यह सम्मान पा चुके हैं | यह इनाम उन लोगों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने अपने कार्यों, योगदान से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कीया हो |
अटलजी भारतरत्न के हक़दार क्यों?
आइये अब देखें की अटलजी को भारतरत्न से विभूषित क्यों किया जाए? अटलजी जब देश के विदेशमंत्री थे तो उन्होंने यु० एन० ऒ० में हिंदी में भाषण देकर हिंदी का गौरव बढ़ाया | अटल जी प्रधानमंत्रित्व काल में सन १९९८ में देश ने परमाणु परिक्षण कर सशक्तिसंपन्न राष्ट्रो की श्रेणी में खड़ा हो गया | देश की अर्थव्यस्था सुदृढ़ हुयी | सड़कों की हालत अच्छी हुयी | अटलबिहारी बाजपयी ने पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध सुधारने हेतु दिल्ली लाहोर बस सेवा शुरू की | अब इसका क्या जाये की पाकिस्तान ने पीठ में छुरा भौंक दिया | कारगिल युद्ध के दौरान कूटनीतिक तौर परं विश्व समुदाय का समर्थन भारत को दिलाया |
अटलजी का सम्बन्ध भारत की दक्षिणपंथी पार्टी भारतीय जनता पार्टी से है | इस पार्टी पर हिंदूवादी होने का आरोप लगाया जाता है | शायद इसी का खामियाजा अटलजी को भुगतना पड़ता है अन्यथा देखा जाए तो तो उनकी सोच राष्ट्रवादी है | उन्होंने कई बार अपनी पार्टी की नीतिओं से भी इत्तफ़ाके राय नहीं राखी है | बाबरी मस्जिद काण्ड, गुजरात दंगों के समय वह व्यथित हुए |
एक व्यक्ति के तौर पर अटलजी का सम्मान उनके विरोधियों ने भी किया है और उनके योगदान को सराहा है | भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनकी वाक्पटुता से प्रभावित होकर एकबार कहा था कि यह लड़का एक दिन देश का प्रधानमंत्री जरूर बनेगा | भारत के एकऔर भूतपूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय पी० वी० नरसिम्हाराव ने कहा था की वह अटलजी को अपना गुरु मानते हैं | १९९६ में विश्वास प्रस्ताव पर बहस के पश्चात अपने भाषण में अटलजी ने कहा था ” लोग कह रहे हैं कि अटल तो आदमी अच्छा है लेकिन पार्टी ख़राब है | लेकिन यदि पार्टी तोड़कर सरकार बनानी पड़े तो में ऐसी सरकार को हाथ से छूना तो क्या चिमटे से भी चूना पसंद नहीं करूँगा |” आज के दौर में जब नेता इतने मतलबपरस्त, मौकापरस्त हैं कि कुर्सी पाने तक किसी हद तक गिर सकते हैं, अटलजी ने ईमानदारी का परिचय दिया |
अटलजी को भारतरत्न दिए जाने की मुखालफत करने वाले कहते हैं की उन्होंने कंधार विमान अपहरण की घटना को ठीक से डील नहीं किया | अटलजी को भारतरत्न दिए जाने के सवाल पर कुछ दिनों पहले कांग्रेस प्रवक्ता श्री मनीष तिवारी ने कहा था कि गुजरात दंगों के समय उनकी भूमिका ठीक नहीं रही थी | अगर दंगों के आधार पर ही अटलजी के भारतरत्न को नकार जाये तो राजीव गांधी भी भारतरत्न के अधिकारी नहीं थे |
अब समय है कि सरकार पूर्वाग्रहों से ऊपर उठे और अटलजी को भारत रत्न दे |
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