ijhaaredil
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आँखोँ से
निकलकर
जब कपोलोँ पर आते हैँ
तो दर्शाते हैँ
कि दिल मेँ
गमोँ की बर्फ पिघल रही है,
मुसीबतोँ की गर्मी
सिर पर पङ रही है,
या फिर
खुशी के मारे
आँख छलक गयी है,
काश आँसू भी
बयान दे पाते
सच या झूठ का
अनुमान दे पाते,
कह पाते
दिल की तली से
निकले है
या हैँ सतही
असली हैँ
या हैँ मगरमच्छी,
बता पाते कि
कौन शरीक है
हमारे गम मेँ,
किसी को खुशी दे रही है,
हमारी तबाही,
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