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शेर-ओ-शायरी

ijhaaredil
ijhaaredil
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1. यूँ गरीबोँ को नजरअँदाज नहीँ किया करते हैँ.
फटे पुराने कपङोँ से भी बर्तन खरीद जाते हैँ ।

2. बुजुर्गोँ की नसीहत असर नहीँ करती है,
मिटटी के खिलौनोँ से अब बच्चे कहाँ खेलते हैँ ।

3. न कोई शख्स बेगाना है न शहर अजनबी,
प्यार से मिलोगे तो दुश्मन भी दोस्त हो जा.येँगे ।

4. थोङा पाकर भी मुतमईन हो जाता हूँ,
छोटा सा तालाब हूँ चन्द बूँदोँ मेँ भर जाता हूँ ।

5. साफगोई के नाम पर तीर मत चला,
किसी के ज़ज्बातोँ का कत्ल अच्छा नहीँ होता ।

6. हर रोज़ कईबार मौत के घाट उतर जाता है,
बुजदिल तो ज़िन्दा होकर भी मुर्दा समान है ।

7. मतलबपरस्ती, मौकापरस्ती तो खूबियोँ मेँ शुमार हैँ,
लोग शरीफोँ को बेवकूफ कहा करते हैँ ।

8. किसी के जख्मोँ को, तो तू भर नहीँ सकता,
हमदर्दी के दो बोलोँ का मरहम तो लगा दे,

9 आज के बच्चे रफ्तार के सौदागर हैँ,
हथेली पर जान और पैर ऐक्सिलेटर होता है ।

10. सुबह होते ही जानिबे मँजिल चला काफिला,
हम छूट गये पीछे पलक झपकाने मेँ ।

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