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सपने

ijhaaredil
ijhaaredil
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सपने,
कहते हैँ
वे नहीँ
जो बंद आँखोँ से
देखे जाते हैँ,
यानि सोते हुए
देखे जाते हैँ,
सपने तो वे हैँ
जो हमेँ सोने न देँ,
करने को साकार
रहेँ बेकरार,
पसीना बहाने को
रहेँ तैयार,
सपने सँजोना
बुरा नहीँ होता,
भविष्य संवारना
बुरा नहीँ होता,
लेकिन दोस्तो,
सपने
वे भी नहीँ
जो हमेँ जीने न देँ,
ठीक से खाने
और पीनेँ न देँ,
कुतरेँ चूहोँ की तरह
हर पल सुख चैन,
मँडराये गिद्धोँ की तरह
हमेशा सिर पर
नोचने को गोश्त,
सपनोँ मेँ खोये रहना,
हकीकत से मुँह
मोङना प्राणघातक है,
आने वाले कल की खातिर
आज को बर्बाद
कर देना भी तो
प्रगति मेँ बाधक है,
इसलिए सपने
उतने ही देखे जायेँ
जो पूरे किये जा सकेँ,
वादे वे ही
किये जायेँ
जो निभाये जा सकेँ ।

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