ijhaaredil
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ज्योँहि करीब आये चुनाव,
नेताओँ ने देखे कुसीं के ख्वाब,
सजाकर अपनी सियासी शतरंज को,
चलने लगे दाँव पर दाँव,
कोई छानने लगा खाक गलियोँ की,
तो कोई जुटा बनाने मेँ इत्तेहाद,
मन मेँ सभी के यही है सपना,
मिल जाये सत्ता सुंदरी का हाथ,
अब जी भर के दीदार करलो यारो,
फिर आयेँगे ये पाँच साल बाद,<ins datetime=”2014-02-05T07:51:01+00:00″>
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