ijhaaredil
- 83 Posts
- 164 Comments
मौत,
हो अपने या बेगाने की,
होती है दुःख का कारण,
लेकिन, नहीं है
इसका कोई निवारण,
एक शाश्वत सत्य है,
विधि का विधान है,
लाचार और बेवश
इसके आगे इंसान है,
लाती है शून्यता,
खालीपन,
नीरस, अप्रासंगिक,
लगता है ये जीवन,
मगर वक़्त का पहिया
थोडा आगे बढ़ता है,
पौंछकर आंसू आदमी
फिर मुस्कराता है,
भूलकर अंतिम सत्य को,
मक्कारी, फरेब के
जाल में
फंसता चला जाता है |
Read Comments