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माँ हिरा बा का संस्कारी बेटा नरेन्द्र

ijhaaredil
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मतगणना वाले दिन यानि 16 मई को जैसे-2 भगवान भास्कर अपने सात अश्व जुते रथ पर सवार क्षितिज के मध्य की ओर अग्रसर थे, ठीक उसी प्रकार श्री नरेन्द्रभाई मोदी का विजयी रथ तीव्र गति से सत्ता के केन्द्र की ओर दौङे चला जा रहा था । जैसे ही रथ का दिल्ली पहुँचना सुनिश्चित तो विकास पुरुष उठे और अपनी जननी माँ हिरा बा के चरण स्पर्श कर आर्शीवाद प्राप्त किया, क्योँकि किसी भी व्यक्ति की सफलता मेँ उसके परिश्रम, लग्न, सूझबूछ, दृढनिश्चय के अतिरिक्त माता-पिता के त्याग, तपस्या, आर्शीवाद और शुभकामनाओँ के महत्व को नकारा नहीँ जा सकता है । इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपनी खुशी, सफलता को सर्वप्रथम अपने माँ बाप के साथ बाँटेँ व उनका आर्शीवाद प्राप्त करेँ ।

अपने उच्च संस्कारोँ से युक्त होने का एक और उदाहरण श्रीमान मोदीजी संसद मेँ प्रवेश करते समय प्रस्तुत किया । वे कदाचित हमारे देश के पहले प्रधानमन्त्री होँगे जिसने संसद मेँ प्रथम बार प्रवेश करने से पूर्व संसद की देहली पर मस्तक रखकर इस लोकतन्त्र के मंदिर को प्रणाम किया हो ।

कहते हैँ कि माँ बच्चे की प्रथम गुरू होती है और जैसे गुण वह बच्चे मेँ भर भरती है, वे जीवनपर्यन्त बच्चे के काम आते हैँ । इसीलिए महान विजेता नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा था “I am what my mother made me”.

श्रीमति हिरा बा ने भी एक आदर्श भारतीय माता होने का परिचय उस वक्त दिया जब मोदी जी दिल्ली रवाना होने से पूर्व आज्ञा व आर्शीवाद लेने माँ के समीप गये । माँ ने हमारी भारतीय परम्परानुसार मोदी जी को मिष्ठान खिलाया, फिर रूमाल से मुँह साफ किया, तत्पश्चात शगुन के तौर पर 101 प्रदान किये । उनका रूमाल से मुँह साफ करना यह दर्शाता है कि बेटा चाहे कितना भी बङा हो जाये, माँ की दृष्टि मेँ वह बच्चा ही रहता है ।

आज हमारे समाज मेँ पश्चिमी संस्कृति के प्रसार के कारण माता पिता की स्थिति ह्रासमान है । माता पिता की उपेक्षा एक आम बात हो गयी है । माँ बाप की अवज्ञा, उनका अपमान करना बच्चोँ की शान बन गये हैँ । शायद हमारी नयी पीढी मोदीजी से सीख ले, ताकि हमारी संस्कृति और संस्कारोँ की पुर्नस्थापना हो सके ।
मैँ नमन श्रीमती हिरा बा और श्री नरेन्द्र मोदी को एवं धन्यवाद देता हूँ मीडिया को जिसने इस अवसर को पूर्ण मनोयोग से कवर किया ।

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