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एक दिन में अपनी कक्षा में पढ़ा रहा था, तभी एक विद्यार्थी ने दीवार पर लिखे एक वाक्य की और मेरा ध्यान आकृष्ट कराया और बोला ” सर इसका मतलब क्या है ? मैंने वाक्य पढ़ा जोकि इस प्रकार था ” your best teacher is your last mistake you made ” | मैंने छात्र से पूछा कि तुम मुझे पहले ये बताओ कि टीचर का क्या अर्थ है | छात्र बोला ” सर, जो हमें सिखाये वही शिक्षक है |” तब मैंने कहा ” जिससे हम सीख लेते हैं, जो हमें अच्छे बुरे का ज्ञान करात है, जो हमारे जीवन को ऊपर उठाने में सहायता करता है, वही तो असली टीचर है, अब यह जरूरी नहीं की सिखाने वाला हाड-मांस का प्राणी ही हो, धरती पर कोई भी शै हमें कुछ न कुछ सीखती है | ” अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए में बोला ” बेटा, तुमने ये भी सुना होगा कि इंसान वही है जो गलतियों से सबक ले” | छात्रों ने सकारात्मक उत्तर दिया | इसपर मैंने कहा ” यदि मनुष्य अपने द्वारा की गयी किसी भी प्रकार की गलती से यह सीखले की वह उसे भविष्य में नहीं दोहराएगा, और उसमेँ सुधार करेगा, तो हुयी न हमारी गलती हमारी शिक्षक” | मेरे इस जवाब से छात्र संतुष्ट हुआ|
हम भारतियों ने गुरु को भगवन से भी बढ़कर दर्ज दिया है | सभी संतों, महान पुरुषों ने गुरु की महिमा का बखान किया है | आइये मानस में गुरु के महत्व पर प्रकाश डालने वाली गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित कुछ चौपाइयों पर दृष्टि डालें|
” जे गुर चरण रेणु सर धरहीं, ते जनु सकल बिभव बस करहीं ||”
” जे गुर पद अंबुज अनुरागी, ते लोकहुँ बेद हुन बड़भागी||”
“गुर बिन भव निधि तरय न कोई, जौं बिरंचि संकर सैम होइ||”
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